सर्वोच्च पवित्र आत्मा ने पवित्र आत्मा को उत्पन्न किया, पवित्र आत्मा को सर्वोच्च पवित्र आत्मा द्वारा सशक्त किया गया। परम पवित्र आत्मा की शक्ति के माध्यम से पवित्र आत्मा ने अपने 10 पवित्र पुत्रों को स्वर्ग में उत्पन्न किया, उनके नाम मरीचि, अत्रि, अंगिरस, पुलस्त्य, पुलहा, क्रतु, भृगु, वशिष्ठ, दक्ष और दसवें पुत्र, नारद थे।
पिता परमेश्वर के 8 अजन्मे आत्मा जन्म पुत्रों (मरीचि, अत्रि, अंगिरस, पुलस्त्य, पुलहा, क्रतु, भृगु, वसिष्ठ) की पीढ़ियों ने आर्य ब्राह्मण कबिलो का निर्माण किया।
अजन्मा सर्वोच्च पवित्र आत्मा ----- अजन्मा पवित्र आत्मा ---- स्वर्ग के 8 अजन्मे पुत्र -- आर्यन ब्राह्मण कबीला
अजन्मे से अजन्मा। आत्मा अजन्मा और अमर है। पिता परमेश्वर एक और अद्वैत है, पिता परमेश्वर आत्मा है, उसे परम पवित्र आत्मा कहा जाता है।
परम पिता परमेश्वर परमात्मा ने पवित्र आत्मा भगवान ब्रह्मा को उत्पन्न किया। भगवान आत्मा है, भगवान का कोई भौतिक शरीर नहीं होता है। भगवान का आत्मिक शरीर होता है।पवित्र आत्मा ने पवित्र प्रभु यीशु मसीह को उत्पन्न किया।
कान्यकुब्ज ब्राह्मणों का गोत्र (Gotras of Kanyakubj Brahmins) [The Genealogy ]
कर्णाटकाश्च तैलंगा द्राविडा महाराष्ट्रकाः ।
गुर्जराश्चेति पञ्चैव द्राविडा विन्ध्यदक्षिणे ॥
सारस्वताः कान्यकुब्जा गौडा उत्कलमैथिलाः ।
पन्चगौडा इति ख्याता विन्ध्स्योत्तरवासिनः ॥
ये पञ्च गौडा ब्राह्मण है -१-सारस्वत २- कान्यकुब्ज ३-सनाढय -गौड़ ४- उत्कल ५- मैथली ।
गुर्जराश्चेति पञ्चैव द्राविडा विन्ध्यदक्षिणे ॥
सारस्वताः कान्यकुब्जा गौडा उत्कलमैथिलाः ।
पन्चगौडा इति ख्याता विन्ध्स्योत्तरवासिनः ॥
ये पञ्च गौडा ब्राह्मण है -१-सारस्वत २- कान्यकुब्ज ३-सनाढय -गौड़ ४- उत्कल ५- मैथली ।
बाल्मीकि रामायण में कान्यकुब्ज ब्राह्मणों के दो उपनाम का उल्लेख है, 1) उपाध्याय 2) अग्निहोत्री
कान्यकुब्ज ब्राह्मण निमनलिखीत उपनामो का प्रयोग करते हैं 1) उपाध्याय 2) अग्निहोत्री 3) बाजपेयी 4) दीक्षित 5) शुक्ल 6) त्रिवेदी 7) अवस्थी 8) पाठक 9) तिवारी 10) त्रिपाठी 11) दुबे (द्विवेदी) 12) चौबे (चतुर्वेदी) 13) मिश्रा 14) पांडे 15) पांडेय
कान्यकुब्ज ब्राह्मणों के गोत्र है -
1-कात्यायन
2-शांडिल्य
3-भार्गव -ब्रह्मा जी के पुत्र का नाम भृगु ऋषि था । भृगु ऋषि के कुल में महर्षि परशुराम का जन्म हुआ था । भगवान परशुराम के कुल के कान्यकुब्ज ब्राह्मण भार्गव गोत्र के कहे जाते है । मैंने कान्यकुब्ज ब्राह्मणों में भार्गव तथा वत्स दोनों गोत्र के ब्राह्मण पाए । कान्यकुब्ज ब्राह्मणों में भार्गव गोत्र के ब्राह्मण चतुर्वेदी और उपाध्याय उपनाम का प्रयोग करते हैं।
4-वत्स :- महर्षि भृगु के कुल में वत्स ऋषि का जन्म हुआ था।
5-भरद्वाज- भरद्वाज तथा भारद्वाज दोनों अलग गोत्र है ।वेदो में विराट पुरुष का जिक्र है, वह विराट पुरुष देवर्षि ब्रह्मा थे, देवर्षि ब्रह्मा को बाल्मीकि रामायण के बालकाण्ड में उपाध्याय कहा गया है , देवर्षि ब्रह्मा के पुत्र का नाम था महर्षि अंगिरस , महर्षि अंगिरस के पुत्र का नाम था देवर्षि बृहस्पति , देवर्षि बृहस्पति के पुत्र का नाम था महर्षि भरद्वाज , महर्षि भरद्वाज के पुत्र का नाम था महर्षि द्रोणाचार्य , महर्षि परशुराम महर्षि द्रोणाचार्य के गुरु थे | द्रोणाचार्य के पुत्र का नाम था अश्वथामा उपाध्याय , अश्वथामा उपाध्याय के तीन पुत्र थे , । Pahle Putra ka name tha Kanyakubj ke Upadhyay,Dusre पुत्र कन्नौज के पांडे से विख्यात हुए । तथा Tisra पुत्र गाधिपुर के शुक्ल से विख्यात हुए। कन्नौज के पांडे के कुछ सदस्य को छिब्रमौ में त्रिवेदी की उपाधि मिली । बाद में छिब्रमौ के त्रिवेदी के कुछ सदस्य कानपूर और अवध क्षेत्र के बाकी हिस्सों में विस्थापित हो गए । बाद में कन्नौज के पांडे के भी कुछ सदस्य कानपूर और अवध क्षेत्र के हिस्सों में विस्थापित हो गए । उधर गाधिपुर के शुक्ल के कुछ सदस्य भिंड को विस्थापित हो गए ,जहाँ उन्हें उपाध्याय की उपाधि मिली । कान्यकुब्ज के उपाध्याय कानपूर, कन्नौज और फरुखाबाद से Etawah,Bhind,औरैया ,Agra, ग्वालियर ,विदिशा, Awadh Kshetra तथा बिहार के भोजपुरी क्षेत्र को विस्थापित हो गए । उधर गाधिपुर के शुक्ल के कुछ सदस्य अवध क्षेत्र तथा अन्य भागो में विस्थापित हो गए ।
6-भारद्वाज - भरद्वाज ऋषि के शिष्य का नाम भारद्वाज था |
7- कश्यप -
8-काश्यप - काश्यप एक ऋषि थे ,इनका जिक्र वलिमिकी रामायण में भी किया गया है ,
9-कश्यपा
10-कौशिक - कौशिक ऋषि का जिक्र वाल्मीकि रामायण के उत्तरकाण्ड में किया गया है ,ये विश्वामित्र ऋषि से अलग है .
11- गौतम
12-गर्ग :-
13-धनञ्जय :- धनंजय एक ऋषि थे, वशिष्ठ ऋषि के कुल में धनंजय ऋषि का जन्म हुआ था।
14-कविस्तु
15-उपमन्यु-
16-वशिष्ठ
17 -संकृत
18-परासर
2-शांडिल्य
3-भार्गव -ब्रह्मा जी के पुत्र का नाम भृगु ऋषि था । भृगु ऋषि के कुल में महर्षि परशुराम का जन्म हुआ था । भगवान परशुराम के कुल के कान्यकुब्ज ब्राह्मण भार्गव गोत्र के कहे जाते है । मैंने कान्यकुब्ज ब्राह्मणों में भार्गव तथा वत्स दोनों गोत्र के ब्राह्मण पाए । कान्यकुब्ज ब्राह्मणों में भार्गव गोत्र के ब्राह्मण चतुर्वेदी और उपाध्याय उपनाम का प्रयोग करते हैं।
4-वत्स :- महर्षि भृगु के कुल में वत्स ऋषि का जन्म हुआ था।
5-भरद्वाज- भरद्वाज तथा भारद्वाज दोनों अलग गोत्र है ।वेदो में विराट पुरुष का जिक्र है, वह विराट पुरुष देवर्षि ब्रह्मा थे, देवर्षि ब्रह्मा को बाल्मीकि रामायण के बालकाण्ड में उपाध्याय कहा गया है , देवर्षि ब्रह्मा के पुत्र का नाम था महर्षि अंगिरस , महर्षि अंगिरस के पुत्र का नाम था देवर्षि बृहस्पति , देवर्षि बृहस्पति के पुत्र का नाम था महर्षि भरद्वाज , महर्षि भरद्वाज के पुत्र का नाम था महर्षि द्रोणाचार्य , महर्षि परशुराम महर्षि द्रोणाचार्य के गुरु थे | द्रोणाचार्य के पुत्र का नाम था अश्वथामा उपाध्याय , अश्वथामा उपाध्याय के तीन पुत्र थे , । Pahle Putra ka name tha Kanyakubj ke Upadhyay,Dusre पुत्र कन्नौज के पांडे से विख्यात हुए । तथा Tisra पुत्र गाधिपुर के शुक्ल से विख्यात हुए। कन्नौज के पांडे के कुछ सदस्य को छिब्रमौ में त्रिवेदी की उपाधि मिली । बाद में छिब्रमौ के त्रिवेदी के कुछ सदस्य कानपूर और अवध क्षेत्र के बाकी हिस्सों में विस्थापित हो गए । बाद में कन्नौज के पांडे के भी कुछ सदस्य कानपूर और अवध क्षेत्र के हिस्सों में विस्थापित हो गए । उधर गाधिपुर के शुक्ल के कुछ सदस्य भिंड को विस्थापित हो गए ,जहाँ उन्हें उपाध्याय की उपाधि मिली । कान्यकुब्ज के उपाध्याय कानपूर, कन्नौज और फरुखाबाद से Etawah,Bhind,औरैया ,Agra, ग्वालियर ,विदिशा, Awadh Kshetra तथा बिहार के भोजपुरी क्षेत्र को विस्थापित हो गए । उधर गाधिपुर के शुक्ल के कुछ सदस्य अवध क्षेत्र तथा अन्य भागो में विस्थापित हो गए ।
6-भारद्वाज - भरद्वाज ऋषि के शिष्य का नाम भारद्वाज था |
7- कश्यप -
8-काश्यप - काश्यप एक ऋषि थे ,इनका जिक्र वलिमिकी रामायण में भी किया गया है ,
9-कश्यपा
10-कौशिक - कौशिक ऋषि का जिक्र वाल्मीकि रामायण के उत्तरकाण्ड में किया गया है ,ये विश्वामित्र ऋषि से अलग है .
11- गौतम
12-गर्ग :-
13-धनञ्जय :- धनंजय एक ऋषि थे, वशिष्ठ ऋषि के कुल में धनंजय ऋषि का जन्म हुआ था।
14-कविस्तु
15-उपमन्यु-
16-वशिष्ठ
17 -संकृत
18-परासर
19- सावर्ण :- महर्षि भृगु के कुल में सवर्ण ऋषि का जन्म हुआ था।
सवर्ण गोत्र के कान्यकुब्ज ब्राह्मण मुख्य रूप से बिहार और बंगाल में पाए जाते हैं। इनके पूर्वज कान्यकुब्ज प्रदेश से बिहार में विस्थापित हो गए थे।
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अजन्मे पवित्र दिव्य आत्मा भगवान ब्रह्मा ने स्वर्ग में अपने दिव्य शब्दों से अपने अजन्मे पवित्र पुत्रों को उत्पन्न किया, इन अजन्मे पवित्र आत्माओं को ब्राह्मण कहा जाता था। इन अजन्मे पवित्र पुत्रों ने ब्राह्मण काबिलो का निर्माण किया। ब्राह्मण का अर्थ है ब्रह्मा का शब्द। ब्राह्मण का अर्थ है पवित्र दिव्य आत्मा का शब्द। उत्पादन और निर्माण के बीच अंतर हैं। भगवान ब्रह्मा ने मानव का निर्माण किया। भगवान ब्रह्मा पवित्र दिव्य आत्मा हैं। पवित्र आत्मा ने अजन्मे प्रभु ईसा मसीह को उत्पन्न किया।
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